Aalu ke kheti भारत में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मुख्य खाद्य फसलों में से एक है। आलू की खेती को सफलतापूर्वक करने के लिए समय, मिट्टी, तापमान, सिंचाई और खाद की सही जानकारी होना आवश्यक है। यहाँ आलू की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है
Aalu ke kheti का सही समय
आलू की खेती मुख्य रूप से तीन मौसमों में की जाती है: आम तौर पर आलू की खेती रबी के सजन में अक्तूबर से नवम्बर तक मैदानी भागों में सबसे उपयुक्त मानी जाती है पर्वतीय इलाकों में जून से जुलाई (खरीफ सीजन ) में आलू की खेती की जाती है , कुछ स्थानों पर जायद सीजन में जनवरी से फरवरी के महीने में आलू की बुबाई की जाती है
- खरीफ सीजन: जून से जुलाई (पर्वतीय इलाकों में)
- रबी सीजन: अक्टूबर से नवम्बर (मैदानी इलाकों में) – यह सबसे उपयुक्त समय है।
- जायद सीजन: जनवरी से फरवरी (कुछ स्थानों पर गर्मियों में भी आलू की खेती की जाती है)
आलू को लगभग 60-100 दिनों में तैयार हो जाता है, और इसकी बुवाई के लिए ठंडा मौसम सबसे अच्छा होता है।
Aalu ke kheti के लिय मिट्टी का चयन
- आलू की खेती के लिए दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है।
- मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
- अच्छी जल निकासी वाली भूमि में आलू की खेती सफल होती है क्योंकि पानी का ठहराव आलू की जड़ों को सड़ा सकता है।
. Aalu ke kheti के लिय भूमि की तैयारी
- सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
- इसके बाद खेत को 2-3 बार हल्की जुताई कर के समतल करें।
- जैविक खाद या गोबर की खाद का प्रयोग खेत में करें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ सके।
- खेत को नमी युक्त रखें, जिससे आलू की कंद आसानी से विकसित हो सकें।
Aalu ke kheti बीज का चयन और बुवाई
- स्वस्थ और रोगमुक्त बीजों का चयन करें। आलू के बीज कंद से होते हैं।
- बीज को 40-50 ग्राम के टुकड़ों में काटें, जिसमें 2-3 आंखें (buds) होनी चाहिए।
- बीज को 60-70 सेंटीमीटर की दूरी पर और 8-10 सेंटीमीटर गहराई में लगाएँ।
- कतारों के बीच में 20-25 सेंटीमीटर की दूरी रखें ताकि पौधों को भरपूर जगह मिल सके।
Aalu ke kheti सिंचाई व्यवस्था
- पहली सिंचाई बुवाई के 7-10 दिन बाद करें।
- आलू की फसल को 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- मौसम के अनुसार सिंचाई करें, अगर बारिश हो रही हो तो सिंचाई की ज़रूरत कम होती है।

Aalu ke kheti खाद और उर्वरक
- आलू की खेती के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की संतुलित मात्रा की आवश्यकता होती है।
- प्रति हेक्टेयर 80-100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 100-120 किलोग्राम पोटाश दें।
- जैविक खाद का भी प्रयोग करें जैसे कि गोबर की खाद और कम्पोस्ट।
Aalu ke kheti रोग एवं कीट नियंत्रण
- आलू की फसल में फफूंदी, ब्लाइट, और कीड़े जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
- ब्लाइट रोग से बचने के लिए बोर्डो मिश्रण (Bordeaux Mixture) या मैन्कोज़ेब (Mancozeb) का छिड़काव करें।
- कीटों से बचाव के लिए नीम के तेल या अन्य जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
Aalu ke kheti खरपतवार नियंत्रण
- फसल को खरपतवार से बचाने के लिए 2-3 बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। दवाओं द्वारा भी खरपत वार पर नियंत्रण पाया जा सकता है
- निराई करने से मिट्टी की हवा-प्रवाह में सुधार होता है और पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं।
Aalu ke kheti कटाई और उपज
- जब आलू के पौधों की पत्तियाँ पीली हो जाएं और पौधे सूखने लगें, तो यह कटाई का संकेत होता है।
- कटाई से पहले खेत की सिंचाई बंद कर दें।
- फावड़े या हल्की मशीन से कंदों को उखाड़ लें। आज कल ट्रेक्टर और मशीन की सहायता आलू को उखाड़ा जाता है

Aalu ke kheti Harvesting A.I Image
Aalu ke kheti उपज
- आलू की फसल की उपज भूमि की उर्वरता, बीज की गुणवत्ता और खेती की तकनीक पर निर्भर करती है।
- सामान्यत: प्रति हेक्टेयर 250-400 क्विंटल आलू की उपज प्राप्त की जा सकती है।
Aalu ke kheti भंडारण
- आलू को ठंडे और हवादार स्थान पर रखें। कोल्ड स्टोरेस में सुरक्षित रखा जा सकता है
- आलू के भंडारण के लिए 4-10 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम रहता है।
इस प्रकार, सही तरीके से आलू की खेती करके अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
Note – किसी भी दावा का प्रयोग कृषि चिकित्सक की सलाह से करें वेब साईट की किसी भी प्रकार की जिम्वेवारी नहीं है यह मात्र एक जानकारी है